एक क्रुद्ध पाठ योजना

-नबनिता देशमुख द्वारा | 22 अक्टूबर, 2020

“रुक! मैं तुझे मुक्का मारूँगा!” सुलेखा नायक ने कक्षा में प्रवेश करते ही ये शब्द सुने। लेकिन ऐसी धमकियों को वे पहली बार नहीं सुन रही थीं। छात्रों का उनका वर्तमान बैच मामूली बहाने से गुस्सा और आक्रामक होने के लिए कुख्यात था। सौभाग्य से सुलेखा कमजोर दिल की शिक्षिका नहीं थी। वे हमेशा चीजों का सीधा सामना करती थी और समस्याओं को हल करने के लिए रचनात्मक कल्पनाएँ उपयोग में लाती थीं। आज का दिन भी कुछ अलग नहीं था।

सुलेखा ने ‘ब्रीदिंग इन, ब्रीदिंग आउट’ नामक एक शिथिल करने वाले ज़ेन गीत के साथ कक्षा की शुरुआत की। गीत गाते समय छात्रों ने स्वतः ही गहरी साँस ली और साँस छोड़ी और इस प्रक्रिया ने उन्हें काफी हद तक शांत कर दिया। छात्र पर्याप्त रूप से शांत हो जाने पर, सुलेखा ने एक लड़के के बारे में दिलचस्प कहानी सुनाना शुरू किया, जिसने अपना आपा खो दिया था और अपने दोस्त को मार डालने की कोशिश में किशोर सुधार गृह भेजा गया। सुलेखा इसे साबित करने के लिए अखबार की कतरन भी ले आयी।छात्र स्तंभित हो गए! विचाराधीन लड़का ठीक उनकी उम्र का था। “काश उसने अपने भयानक गुस्से को नियंत्रित किया होता!” छात्रों में से एक ने टिप्पणी की, जबकि दूसरा बोल पड़ा, “कोई अपने ही दोस्त को मारने की कैसे सोच सकता है?” जल्द ही इस बात पर चर्चा शुरू हो गई कि किशोर अपना आपा क्यों खो देते हैं और भयावह काम करते हैं।

सुलेखा ने अपने छात्रों द्वारा की गई निम्नलिखित टिप्पणियों पर तुरंत ध्यान दिया:

 "जब मुझे कोई यह बताता है कि मैंने क्या करना है तब मुझे बहुत गुस्सा आता है। मेरे माँ-पिताजी जब ऐसा करते हैं तब मुझे और ज्यादा गुस्सा आता है, इसलिए मैं उल्टा जवाब देता हूँ।"
 "मुझे डर लगता है कि कही मैं अपनी आजादी न खो दूँ और मैं अक्सर आगबबुला हो जाता हूँ।"
 "मैं स्कूल में और घर पर इस बात से कुंठित रहता हूँ कि कोई भी मुझे नहीं समझता है और मुझे ज्यादातर समय गुस्सा आता है।"
 "मुझे अपनी छोटी बहन से जलन होती है क्योंकि उसकी अधिक सराहना की जाती है और मैं अंदर ही अंदर उबलता रहता हूँ।"
 "मैं कुछ नहीं कर सकता; क्रोध मुझ पर हावी रहता है!"

अगले दिन, सुलेखा ने छात्रों को एक कार्य-पत्रक वितरित किया जहाँ एक ज्वालामुखी की आकृति क्रोध का कारण बनने वाले विभिन्न भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। छात्रों को ऐसे वाक्यों का चयन करना था जिससे वे अपना आपा खो बैठते हैं लेकिन अपने गुस्से को नियंत्रित करने के तरीकों (उपायों) के बारे में भी सोचते हैं।

छात्र उपरोक्त अभ्यास पूरा कर लेने के बाद सुलेखा ने छात्रों को एक और लेख दिखाया जिसमें कुछ शब्दों ने उन भावनाओं का वर्णन किया था जो आमतौर पर गुस्से का कारण बनते हैं।

प्रत्येक छात्र को उन्हें क्रोध दिलाने वाले शब्दों का चयन करना था। सुलेखा अपने छात्रों के संभावित क्रोध बिंदु और उन्हें परेशान करने वाले अंतर्निहित मुद्दों की खोज कर आनंदित थी। इस कार्य ने उन्हें किशोरों को अधिक चतुराई और करुणा के साथ अधिक अच्छे ढंग से संभालने में सक्षम बनाया।एक सप्ताह बाद, सुलेखा ने अपने छात्रों को चकित करते हुए एक बाल्टी पानी लाया और उसे कक्षा के बीच में रख दिया। फिर उन्होंने प्रत्येक छात्र को एक कागज़ का टुकड़ा दिया। उन्हें उन स्थितियों को लिखने के लिए कहा जो वास्तव में उन्हें गुस्सा दिलाती थीं जैसे: “जब मेरा छोटा भाई मेरा मोबाइल फोन छीन लेता है तो मैं भड़क जाती हूँ इसलिए मैं उसकी नाक पर जोर से मुक्का मारती हूँ।“

बच्चों का जब अपने गुस्से की स्थिति का वर्णन लिखना समाप्त हो गया, तो सुलेखा ने उनसे कहा कि वे अपने कागज़ के टुकड़े तोड़ मरोड़कर बाल्टी में फेंक दें। बच्चे अत्यधिक खुश हो गए! यह एक खेल की तरह था! उन्होंने निशाना साधा और कागज की अपनी टूटी हुई गेंद को बाल्टी में फेंक दिया और देखा कि यह गीला होकर बिखर गया है। 

"यह वही है जो आपको गुस्सा आने पर करना चाहिए," सुलेखा ने हँसते हुए कहा। “अपने गुस्से वाले विचारों को एक कागज़ के टुकड़े पर लिख लें और फिर कुछ बेवकूफी करने से पहले उसे पानी की बाल्टी या कूड़ेदान में फेंक दें। और फिर आप कोई खेल खेल सकते हैं, घर से बाहर निकल कर जा सकते हैं या कोई रूचि भी पाल सकते हैं। ध्यान रखें ये चीजें मदद करती हैं!"

और ऐसा निश्चित ही हुआ! बच्चों ने धीरे-धीरे अपने गुस्से को जिम्मेदारी से संभालना सीख लिया और पता है आगे क्या हुआ? कभी-कभार विस्फोट तो हो ही जाते हैं लेकिन सुलेखा अब शांति से अपनी कक्षाएँ उल्लेखनीय शिष्टता और विशेषज्ञता के साथ एक सच्चे ज्वालामुखीविद् की तरह संभालती हैं!

स्रोत : http://teachersofindia.org/en/article/angry-lesson-plan
चित्र स्रोत: Freepik, Smashicons and Eucalyp from flaticon.com
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