कई लोगों ने कोविड (COVID) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा काम नहीं करती है। और मैं एक तरह से उनसे सहमत थी। परंतु मैं यह भी मानती थी और अब भी मानती हूँ कि महामारी ने समस्याओं को जन्म नहीं दिया। उसने केवल उन्हें प्रकट किया।

बहुत सारे विद्यालयों में जिस तरह का शिक्षण हो रहा था, वह केवल इसलिए “काम” कर रहा था क्योंकि बच्चे शारीरिक रूप से हमारे सामने थे, इसलिए अधिकांश बच्चों ने, ज्यादातर समय, वही किया जो हमने उन्हें करने के लिए कहा था। यह दुनिया भर के शिक्षकों और परिवारों के बीच किया गया एक मौन समझौता था: आप अपने बच्चों को हमारे पास भेजें, वे हमारे स्कूलों में दिन के सात घंटे बैठेंगे और वही करेंगे जो हम उन्हें करने के लिए कहेंगे और हम उन्हें उत्तीर्ण होने के लिए पर्याप्त अच्छे अंक देंगे। इस प्रणाली के अंतर्गत कोई आश्वस्ति नहीं थी कि वे वास्तव में सीख (learning) रहे थे। और निश्चित रूप से, इस बात की कोई आश्वस्ति नहीं थी कि वे सीखने बारे में कभी उत्साहित होंगे।
और अब हम ऐसे समय पर आ रहे हैं जहाँ प्रतिबंध हटा दिए जाएँगे, जहाँ हम सभी एक साथ आमने-सामने, बिना सामाजिक दूरी या मास्क के विद्यालय भवन में वापस आएँगे। और इसलिए सैद्धांतिक रूप से, ऐसे कई छात्र जिनके अंक महामारी के दौरान बहुत कम हो गए हैं, उनके अंक फिर से बढ़ने चाहिए। परंतु क्या ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वे वास्तव में सीख रहे हैं? क्या ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वे जो कर रहे हैं उसके बारे में उत्साहित हैं?
या यह केवल पालन करने की बात होगी? क्या यह मनुष्य जाती होने की बात होगी जहाँ सहयोग करने और उन्हें जो कहा जाता है वह करते हैं? मुझे लगता है कि उत्तर शायद बीच में कहीं है। कई कक्षाओं में, परिवर्तन काल सक्रिय रूप से शुरू हो सकता है, जहाँ हम बच्चों को फिर से सीखने के लिए उत्साहित करते हैं और इस तथ्य का पूरा फायदा उठाते हुए कि हम एक साथ, व्यक्तिगत रूप से फिर से एकत्रित हुए हैं, उन अनुभवों की योजना बनाते हैं। परंतु यदि हम सावधान नहीं हैं, यदि हम इसमें एक भिन्न मानसिकता के साथ प्रवेश नहीं करते हैं, तो हम आसानी से अपने पुराने तरीकों में वापस आ सकते हैं, जहाँ हम वह करते हैं जो आसान है, जो सबसे कुशल है और वह नहीं करते जो वास्तव में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा में योगदान देने वाला है।

मैं प्रस्ताव देना चाहती हूँ कि हम शिक्षण के इस नए चरण में, इतिहास के इस नए दौर में, एक नए मंत्र के साथ प्रवेश करें: अब और आसान बटन नहीं दबाएँगे। आइए हम विद्यालय चलाने के अपने हर उस निर्णय को आलोचनात्मक दृष्टी से देखना शुरू करें और आइए हर बार आगे बढ़ने से पहले खुद से पूछें: क्या यह सबसे अच्छा कदम है या हम सिर्फ आसान बटन दबा रहे हैं?
इससे पहले कि मैं यह कैसा रहेगा इस बारे में बात करना शुरू करूं, मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूँ कि मैं ज्यादा के बारे में बात नहीं कर रही हूँ। मैं नए की बात कर रही हूँ। हमारी थालियों में और अधिक जोड़ने की नहीं बल्कि कुछ चीजों को निकाल देने की बात, चीजों को पुनर्व्यवस्थित करने की बात, हमारे पढ़ाने की पद्धति को बदलने की बात। हम जो पहले से कर रहे हैं उसमें अधिक कुछ नहीं जोड़ना हैं। आप सभी ने, विशेष रूप से पिछले वर्ष के दौरान, पर्याप्त से अधिक किया है।
तो यह संदेश सिर्फ शिक्षकों के लिए नहीं है। आप इसमें से कुछ चीजें स्वयं कर सकते हैं। परंतु यदि आपका विद्यालय व्यवस्थापन, आपके समुदाय के माता-पिता, जिला कार्यालय और आपकी राज्य सरकार इसका भाग नहीं हैं, यदि केवल आप अकेले अधिक से अधिक करने की कोशिश कर रहे हैं और तब आप इनमें से किसी एक या सभी पक्षों को अपेक्षाओं के कारण उस “आसान बटन” मोड में चले जाते हैं, तो आप अधिक नहीं कर पाएँगे।
मैं जिन बदलावों का प्रस्ताव रख रही हूँ, वे सभी के लिए हैं।
सिद्धांत का प्रयोग: इसका रूप कैसा रहेगा?
तो यदि हम यह नया सिद्धांत/मंत्र – निरंतर उस आसान बटन से दूर जाने की कोशिश करना – अपनाते हैं, तो हमारे शिक्षण व्यवहारों (teaching practice) में इसका रूप कैसा रहेगा? आइए चार क्षेत्रों का पता लगाएँ: पाठ योजना, आकलन, समावेशिता और संबंध।

पाठ योजना (LESSON DESIGN)
- कम अप्रासंगिक: कई कक्षाओं में, हमने “सत्रीय कार्य” (ASSIGNMENT) दिए जिससे ऐसा लगा कि छात्र हमारी सामग्री के साथ काम कर रहे हैं और उस पर प्रक्रिया कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में यह उन्हें केवल व्यस्त रख रहा था (keeping them busy)। इसका अर्थ यह था कि छात्रों के पास करने के लिए बहुत काम था और हमारे पास दर्ज करने के लिए बहुत सारे अंक थे, परंतु वास्तविक सीखना जरुरी नहीं हो रहा हो। मैं आज सुझाने वाले बाकी सभी परिवर्तनों के लिए इस अप्रासंगिकता को हटाने से, हमारे काम की कुल मात्रा को केवल सीखने से भरे हुए कार्य तक कम करने से, हमें जगह मिलेगी।
- अधिक सक्रिय शिक्षण (active learning): एक और बदलाव है – अधिक व्यावहारिक अनुभवों की योजना बनाना, अधिक परियोजना-आधारित (project-based) और समुदाय-आधारित सीखना, अधिक गति-आधारित सीखना (movement-based learning) और छात्रों को पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में अपने परिवेश का उपयोग करने देने वाला अधिक क्षेत्र अध्ययन (field studies) करवाना। मुझे लगता है कि हम कंप्यूटर के माध्यम से पढ़ाने के लिए मजबूर होने से कई शिक्षकों को, हम केवल व्यक्तिगत रूप से कर सकने वाली उन चीजों को नए सिरे से सराहने का अवसर मिला है। यदि हम कुछ अप्रासंगिकता को कम करते हैं, तो हमारे पास इस तरह की चीजों के लिए अधिक समय होगा।

- अधिक सहयोग: हम छात्रों को एक साथ करने के लिए और अधिक सार्थक कार्य देना शुरू कर सकते हैं। सहयोगात्मक कार्य का प्रबंधन (Managing collaborative work) निश्चित रूप से आसान नहीं है: यह कक्षा में अधिक गड़बड़ियाँ पैदा करता है, आप शिक्षक के रूप में बहुत अधिक नियंत्रण खो देते हैं और ऐसा हो सकता है कि छात्र वास्तव में वह नहीं कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए था। इसे अच्छी तरह से करना, कम से कम पहली बार, और भी अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि छात्रों को इस समय का अधिकतम लाभ उठाने के लिए सहयोगी कौशल (collaborative skill) में प्रशिक्षण और अभ्यास (training and practice) की आवश्यकता होती है। परंतु आप आरंभ मे ही कुछ समय देने से यह अंत में लाभदायक रहेगा।
- अधिक पूर्व-रिकॉर्ड की गई सामग्री: अब अधिकांश शिक्षक अपने निर्देश (instruction) डिजिटल डिलीवरी सिस्टम (digital delivery system) जैसे स्क्रीनकास्ट वीडियो (screencast videos) में, दूसरे शब्दों में वीडियो के माध्यम से व्याख्यान देने के लिए मजबूर हुए हैं। इसलिए शिक्षक अब प्रत्यक्ष निर्देश (direct instruction), देने के लाभों को देख रहे हैं। वीडियो के माध्यम के लाभ यह हैं कि छात्रों को जब भी या जितनी बार भी सामग्री की आवश्यकता हो वे उसे पा सकते हैं तथा अधिक परस्पर संवादात्मक (interactive) सामग्री के लिए कक्षा का समय मुक्त कर सकते हैं। यद्यपि इस के लिए काम समय से पहले और अधिक करना होता है, यह ऐसा काम है जिसका मूल्य है। जब हमारे पास अपने छात्रों के साथ असीमित आमने-सामने का समय (face-to-face time) था, तो हम में से कुछ ने उस समय को निष्क्रिय सीखने (passive learning) में गवां दिया था। अब जब हमारे पास उस समय के मूल्य के लिए नए सिरे से मूल्यांकन है, तो हम इसे और अधिक विचारपूर्वक उपयोग कर सकते हैं। हम अपने समय का अधिकतम लाभ उठाने के लिए जब संभव हो तो निर्देश को डिजिटल स्वरूपों (digital formats) में कर सकते हैं।
” मैं ज्यादा जोड़ने की बात नहीं कर रही हूँ। हमें चीजों को अलग तरह से करने की जरूरत है। अधिक चीजें नहीं, बल्कि कुछ चीजों को निकाल देने की बात कर रहे है, और साथ ही, चीजों को पुनर्व्यवस्थित करना और ख़ास तौर पे, हमारे पढ़ाने के तरीके को बदलना। हम जो पहले से कर रहे हैं, उसमें अधिक कुछ नहीं जोड़ना हैं। “