प्रशिक्षण से परिवर्तित शिक्षिका

विद्यालय पर प्रभाव: सीखने का स्तर, जिज्ञासा का स्तर और अन्य शिक्षकों को जुटाना

5 वर्ग और 99 छात्रों के लिए केवल 3 शिक्षकों वाला विद्यालय शिक्षकों की भारी कमी का सामना कर रहा था। इस कमी के कारण और शिक्षकों की अपनी क्षमता की कमी के कारण, बच्चे रटकर सीखने में लगे रहते थे। शिक्षक फलक पर प्रश्न और उत्तर लिखते और छात्र उसे उतरते थे।

सुश्री गायत्री द्वारा एक शिक्षण पद्धति (teaching methodology) अपनाने के बाद, बच्चों के सीखने और भागीदारी के स्तर में लगभग तत्काल अंतर आया। धीरे-धीरे पहली कक्षा के बच्चे पढ़ने लगे, कक्षा में उनका संवाद बढ़ता गया और ऐसा लगने लगा कि वे पहले से कहीं ज्यादा समझ रहे हैं। सुश्री गायत्री ने बताया कि अब उनके लिए भी कक्षाएँ अधिक मजेदार थीं। उनके एक सहयोगी के अनुसार, जिस शैक्षणिक सत्र में उन्होंने पहली बार इस नए शिक्षाशास्त्र और आकलन को अपनाया, उनकी पहली कक्षा के 90% बच्चों ने समझ के साथ पढ़ना सीख लिया।

परिणाम देखकर, अन्य शिक्षक प्रेरित हुए और फलस्वरूप, इस विद्यालय के 3 और दूसरे विद्यालय से 2 शिक्षकों ने इस शिक्षाशास्त्र को अपनाने के लिए एक शिक्षण समूह (learning group) बनाया। फ़िलहाल सुश्री गायत्री इस पहल का नेतृत्व कर रही हैं। अन्य शिक्षकों के साथ बातचीत से यह स्पष्ट था कि उन्हें अपनी प्रगति पर बहुत गर्व था। उनमें से एक ने कहा: “यह हमारी लीडर मेम साहिब है, यह सीख के आती है और हमको सिखाती है’।

इस पर विचार करते हुए, गायत्री शिक्षिका ने अपनी प्रगति का श्रेय परिवार के समर्थन और कार्यशाला में प्राप्त ज्ञान, दोनों को दिया। परिवार के समर्थन ने उन्हें और अधिक अच्छे से काम करने के लिए सक्षम बनाया। उदाहरण के लिए, अक्सर उनके पति और बच्चे टीएलएम बनाते हैं और जब उन्हें देर तक काम करना पड़ता है तब समझते हैं। दूसरी ओर, प्रशिक्षण ने उनके सामने ढेर सारी संभावनाएँ खोल दी और उन्हें अपनी नौकरी में उपलब्धि और वृद्धि महसूस करने में सक्षम बनाया।

शिक्षिका गायत्री को वर्तमान में अन्य शिक्षकों के लिए एक सलाहकार (mentor) बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। यद्यपि वह यह कैसे होगा इस बारे में चिंतित और सचेत महसूस करती है, एक शिक्षक के रूप में उनके लिए जो संभावनाएँ खुली है उस पर उन्हें गर्व और उत्साह है। उन्होंने बताया कि उन्होंने हाल ही में एक शिक्षिका के रूप में अपने पैर जमा लिए हैं। वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि प्रशिक्षण उनके जीवन में इतना बड़ा प्रभाव डाल सकता है और वह अन्य लोगों के जीवन को समृद्ध बनाने में योगदान देने में सक्षम हो सकती हैं।

बच्चों की नजरों से

बच्चों के साथ बातचीत इस बात पर केंद्रित थी कि एक अच्छा शिक्षक कौन है और उन्हें विद्यालय में क्या पसंद है। उन्होंने उत्तर दिया: शिक्षक ऐसे होने चाहिए जो अच्छे से बात करे, गाली न दे, हमारे साथ बैठे और खेल करवाए।

उन्होंने इन विशेषताओं को तुरंत सुश्री गायत्री से जोड़ दिया और कहा एक शिक्षक को उनके जैसा होना चाहिए। उनसे कारण पूछने पर उन्होंने उत्तर दिया: वह मारती नहीं है I मज़ा आता है क्लास मैं, जैसे कहानियाँ, नाटक, चित्र कार्ड।

बच्चों ने कहा कि उन्हें विद्यालय आना पसंद है क्योंकि उन्हें दोस्तों से मिलने और उनके साथ खेलने का मौका मिलता है। उन सभी ने माना कि उन्हें अपना भविष्य अच्छा बनाने, पैसा कमाने और एक बड़ा व्यक्ति बनने के लिए विद्यालय जाने की आवश्यकता है।

जिला संस्थान सदस्यों का दृष्टिकोण

2015 से सुश्री गायत्री शैक्षिक गतिविधियों (educational activity), जैसे कार्यशालाओं (workshop), समूह बैठकें (cluster meeting), विद्यालय भेट (school visit), स्वैच्छिक शिक्षक मंच (वीटीएफ) 1 (Voluntary Teacher Forum), बाल मेलों और संगोष्ठीयों (seminar) के माध्यम से एपीएफ के साथ लगातार जुड़ी हुई हैं। वीटीएफ से उनका जुड़ाव निरंतर बना हुआ है और उन्होंने कार्यशालाओं में कुछ सत्रों में मदद भी दी है। वह वास्तव में निरंतर शिक्षक व्यावसायिक विकास (continuous teacher professional development) का अनुसरण करती है। 

जिला संस्थान (डीआई) के सदस्यों द्वारा देखे गए कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन थे:

सोच और विश्वास प्रणाली में बदलाव:

पहले की तुलना में, उनके कक्षा व्यवहार (classroom practice) और बच्चों के सीखने (children’s learning) में सकारात्मक बदलाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, वह पहली कक्षा के सभी छात्रों को विभिन्न गतिविधियों (कविता, कहानी, खेल) में भाग लेने का समान अवसर देती है।

क्रिया-उन्मुख सीखना (action-oriented learning):

वह अपने सीखने को लागू करने में तत्पर है। उदाहरण के लिए, उन्होंने समग्र भाषा पद्धति (whole language method) का पालन करने, स्वर विज्ञान संबंधी जागरूकता (phonological awareness) और मुद्रण-समृद्ध वातावरण (print-rich environment) बनाने के लिए अपने शिक्षाशास्त्र को बहुत जल्दी अनुकूलित किया।

मेलजोल का जाल बिछाना (networking) और ज्ञान साझा करना (knowledge sharing):

शिक्षिका गायत्री समूह बैठक और कार्यशालाओं के दौरान कर्मचारियों और अन्य विद्यालय शिक्षकों के साथ अपना अनुभव साझा करती हैं।

शिक्षाशास्त्र:

कक्षा में बच्चों के साथ उनका काम उल्लेखनीय है। वह बच्चों या शिक्षकों के बीच पदानुक्रम बनाए नहीं रखती है। वह बच्चों के साथ मिलकर काम करने में विश्वास करती है और सीखने की प्रक्रिया में हर बच्चे को शामिल करने की कोशिश करती है।

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